Monday, September 19, 2011

गिरकर उठना उठकर चलना (Girkar Uthana Uthakar Chalana)

(from http://www.geetganga.org/girkar-uthana-uthakar-chalana)

गिरकर उठना उठकर चलना यह क्रम है संसार का
कर्मवीर को फर्क न पड़ता किसी जीत या हार का
यह क्रम है संसार का

जो भी होता है घटना-क्रम रचता स्वयं विधाता है
आज लगे जो दंड वही कल पुरस्कार बन जाता है
निश्चित होगा प्रबल समर्थन अपने सत्य विचार का
कर्मवीर को फर्क न पड़ता किसी जीत या हार का
यह क्रम है संसार का

कर्मोंका रोना रोने से कभी न कोई जीता है
जो विष-धारण कर सकता है वह अमृत को पी जाता है
संबल और विश्वास में है अपने दृढ आधार का
कर्मवीर को फर्क न पड़ता किसी जीत या हार का
यह क्रम है संसार का

त्रुटियोंसे कुछ सीख मिले तो त्रुटियाँ हो जाती वरदान
मानव सदा अपूर्ण रहा है पूर्ण रूप होते भगवान
चिंतन मंथन से पथ मिलता त्रुटियों के परिहार का
कर्मवीर को फर्क न पड़ता किसी जीत या हार का
यह क्रम है संसार का

Wednesday, September 8, 2010

Concerns of being deprived of Independence

(भारत का स्वधर्म by Shri Dharmpal)

Here we will try to understand the Bharatiya and European society, psyche, polity and social mechanism, and the effects of their clash (during the last 250 yrs) on us.
Firstly, we will discuss about the intellectual atmosphere created by prominent personalities as well as conclusions reached due to the experiences of servitude at the hands of British. These are important to understand because knowingly or unknowingly, we are still living amidst them. Our discussion will also hint at the preparations done by conquering British some of which forms the very background of European psyche.
Freedom struggle forms a natural starting point of our discussion. In Hind Swaraj (1909), Gandhiji viewed the freedom struggle not merely as an armed struggle between two countries but as a clash of two civilizations. Ample literature can be found written around 1920s on indigenous education system of 18th century, conditions and aspirations of the society before the arrival of Britishers and the increase of poverty and misery under the British. Writers varied from Gandhiji and his followers to Sir Shankaran Nayar who was a member of viceroy's council. But these were not written with a view of presenting a holistic picture of the society. Instead, they were just a part of the quest of knowing history.

Monday, August 9, 2010

Ekla Chalo re

Jodi Tor Dak Soone Keu Na Asse
Tobe Ekla Chalo re
Ekla Chalo Ekla Chalo Ekla Chalore

Jodi Keu Katha Na Kai Ore Ore O Abhaga
Jodi Sabai Thake Mukh Firae Sabai Kare Bhay
Tabe Paran Khule
O Tui Mukh Fute Tor Maner Katha Ekla Balo re

Jodi Sabai Fire Jai Ore Ore O Abhaga
Jodi Gahan Pathe Jabar Kale Keu Feere Na Chay
Tobe Pather Kanta
O Tui Rakta Makha Charan Tale Ekla Dalo re

Jodi Alo Na Dhare Ore Ore O Abhaga
Jodi Jharr Badale Andhar Rate Duar Deay Ghare
Tobe Bajranale
Apaan Buker Panjar Jaliey Nieye Ekla Jalo re


 - Gurudev Rabindranath Tagore

Tagore's English translation

If they answer not to thy call walk alone,
If they are afraid and cower mutely facing the wall,
O thou of evil luck,
open thy mind and speak out alone.

If they turn away, and desert you when crossing the wilderness,
O thou of evil luck,
trample the thorns under thy tread,
and along the blood-lined track travel alone.

If they do not hold up the light when the night is troubled with storm,
O thou of evil luck,
with the thunder flame of pain ignite thy own heart
and let it burn alone.

Friday, June 11, 2010

कलम, आज उनकी जय बोल

जला अस्थियां बारी-बारी
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल


जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल।
कलम, आज उनकी जय बोल


पीकर जिनकी लाल शिखाएं
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल।
कलम, आज उनकी जय बोल


अंधा चकाचौंध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा,
साखी हैं उनकी महिमा के
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल।
कलम, आज उनकी जय बोल

रामधारी सिंह "दिनकर" 

(source - http://www.kavitakosh.org/)

Thursday, June 3, 2010

श्रद्धांजलि

(In DD-MM chronological order starting from 1st April - New Year Day of Indian Calendar)

केशव बलिराम हेडगेवार (Keshava Baliram Hedgewar): April 1, 1889 (जन्म)
शिवाजी (Shivaji): 3 April 1680 (निर्वाण)
जलियांवाला बाग़ (Jallianwala Bagh): April 13, 1919
सुखदेव थापर (Sukhdev Thapar): 15 May 1907 (जन्म)
बिपिन चंद्र पाल (Bipin Chandra Pal): 20 May, 1932 (निर्वाण)
विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar): May 28, 1883 (जन्म)
पुण्यश्लोक राजमाता अहिल्याबाई होल्कर (Punyashlok Rajmata Ahilyabai Holkar): 31 May 1725 (जन्म)
माधव सदाशिव गोळवलकर (Madhav Sadashiv Golwalkar): June 5, 1973 (निर्वाण)
चित्तरंजन दास (Chittaranjan Das): June 16, 1925 (निर्वाण)
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmibai): 17 June 1858 (निर्वाण)
केशव बलिराम हेडगेवार: June 21, 1940 (निर्वाण)
स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda): July 4, 1902 (निर्वाण)
बटुकेश्वर दत्त (Batukeshwar Dutt): 20 July 1965 (निर्वाण)
बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak): 23 July 1856 (जन्म)
चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrashekhar Azad): July 23, 1906 (जन्म)
बाल गंगाधर तिलक: August 1, 1920 (निर्वाण)
पुण्यश्लोक राजमाता अहिल्याबाई होल्कर: 13 August 1795 (निर्वाण)
महर्षि अरविंद (Sri Aurobindo): August 15, 1872 (जन्म)
रामकृष्ण परमहंस (Sri Ramakrishna Paramahamsa): August 16, 1886(निर्वाण)
शिवराम हरि राजगुरु (Shivram Hari Rajguru): August 24, 1908 (जन्म)
भगत सिंह (Bhagat Singh): 27 September 1907 (जन्म)
अशफाकुल्ला ख़ान (Ashfaqulla Khan): October 22, 1900 (जन्म)
भगिनी निवेदिता (Sister Nivedita): October 13, 1911 (निर्वाण)
भगिनी निवेदिता: October 28, 1867 (जन्म)
चित्तरंजन दास: November 5, 1870 (जन्म)
बिपिन चंद्र पाल: November 7, 1858 (जन्म)
बटुकेश्वर दत्त: 18 November 1910 (जन्म)
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई: c.19 November 1835 (जन्म)
महर्षि अरविंद: December 5, 1950 (निर्वाण)
पंडित रामप्रसाद बिस्मिल (Pandit Ramprasad Bismil): 18th December 1927 (निर्वाण)
अशफाकुल्ला ख़ान: December 19, 1927 (निर्वाण)
ठाकुर रोशन सिंह (Thakur Roshan Singh): December 20, 1927 (निर्वाण)
राजमाता जीज़ाबाई (Rajmata Jijabai): 12 January 1598 (जन्म)
स्वामी विवेकानंद: January 12, 1863 (जन्म)
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान (Khan Abdul Ghaffar Khan): 1890 (जन्म) - 20 January 1988 (निर्वाण)
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (Netaji Subhas Chandra Bose): 23 January 1897 (जन्म)
लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai): 28 January 1865 (जन्म)
रामकृष्ण परमहंस: February 18, 1836 (जन्म)
शिवाजी: 19 February 1630 (जन्म)
माधव सदाशिव गोळवलकर: February 19, 1906 (जन्म)
विनायक दामोदर सावरकर: February 26, 1966 (निर्वाण)
चंद्रशेखर आज़ाद: February 27, 1931 (निर्वाण)
भगत सिंह: 23 March 1931 (निर्वाण)
सुखदेव थापर: 23 March 1931 (निर्वाण)
शिवराम हरि राजगुरु: 23 March 1931 (निर्वाण)

(to be updated regularly, information provided is welcomed)

Sources:
1. Wikipedia: www.wikipedia.org

सृष्टि सृजन (Origin of Universe)

सृष्टि से पहले सत नहीं था
असत भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं
आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या, कहाँ
किसने ढका था
उस पल तो
अगम अतल जल भी कहां था|

(ऋग्वेद सूक्तं presented in form of a poem)

Saturday, May 15, 2010

सरफ़रोशी की तमन्ना (Sarfaroshi ki Tamanna)

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

(ऐ वतन,) करता नहीं क्यूँ दूसरी कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्क़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.
ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

- पंडित राम प्रसाद बिस्मिल (Pandit Ram Prasad Bismil)